Tuesday, March 28, 2023
FOCUS
Monday, August 23, 2021
क्या स्वाद लेने की आदत बदली जा सकती है?
किसी को मिठाई अच्छी लगती है; कोई मटन का चहेता होता है। राजस्थान में दाल-बाटी चूरमा बड़े ही चाव से खाई जाती है। पंजाब में मक्के दी रोटी और सरसों दा साग का बोल-बाला है। महाराष्ट्र में पाव लोकप्रिय है तो तमिलनाडु में डोसा और इडली की धूम होती है। गुजरात में मीठी दाल खाई जाती है। बिहार में लोगों को नमकीन दाल प्रिय है।
1986 में मैं कोटा के एक होटल में 12 सप्ताह के लिए ठहरा था। एक सुबह मैं अपने कमरे में दही-चूरा-चीनी और आम बड़े चाव से खा रहा था। मेरे एक पंजाबी मित्र उसी समय पहुँचे। मैंने उन्हें भी खाने का न्योता दिया। वे हाथ जोड़कर बोले कि दही-चूरा-चीनी और आम मुँह में रखकर वे कंठ के नीचे भी नहीं ले जा पायेंगे। मैंने उनके लिये उनके लिये टोस्ट-आमलेट मँगाया।
बचपन में हम जिस वातावरण में पले, वहाँ जो खाना खाया जाता था, हमें अच्छा लगने लगा।
बचपन में मैं अपने बुजुर्गों को चाय पीते देखता था। बड़ा होकर मैं भी मीठी चाय की चुस्की लेने लगा।
दुर्भाग्यवश जनवरी, 2014 में मुझे मधुमेह हो गया। चिकित्सक ने चीनी बंद कर दी। श्रीमती जी मुझे फीकी चाय परोसने लगीं। मन मसोसकर मैं फीकी चाय घोंटता था। प्रतीत होता था, "जीवन श्वेत-श्याम फ़िल्म हो गया है।" धीरे-धीरे मैं नये तौर-तरीकों में रम गया। अब मुझे मीठी चाय ही स्वादहीन लगती है।
अतः स्पष्ट है कि स्वाद एक आदत है और उसे बदला जा सकता है।
"सत्य के साथ मेरे प्रयोग" में महात्मा गांधी ने लिखा है कि उन्होंने मसालों को त्याग कर जब उबली हुई सब्जियां खाना प्रारंभ किया तो कुछ दिनों के बाद उन्हें उबली सब्जियां ही स्वादिष्ट लगने लगी।
अतः आप जब चाहें अपनी स्वास्थ्य की मांग के अनुसार स्वाद की नई आदतें बना सकते हैं।
प्रथम सप्ताह में आपको अधिक इच्छा-शक्ति पड़ेगी। जब अवांछित आदतों को करने की इच्छा आपको बेचैन करे तो रचनात्मक कार्यों में लग जाइये। रचनात्मक कार्यों के सफल निष्पादन से आपके शरीर में हैप्पी हार्मोन डोपामाइन मुक्त होगा, उपलब्धि प्राप्त करने की भावना आपके मन-मस्तिष्क को उत्साहपूर्ण कर देगी।
यदि कोई उचित कार्य न हो तो सीढ़ियाँ चढ़िये या किसी अन्य शारीरिक ऐक्टिविटी में लग जाईये। इससे आपके शरीर में हैप्पी होर्मोन एंडोर्फिन मुक्त होगा जो आपको बेचैनी से राहत देगा।
दूसरे सप्ताह में आप का शरीर और मन नई आदतों के साथ तालमेल बैठाने लगेगा।
तीसरा सप्ताह बीतने के बाद नई आदतें आपको अच्छी लगने लगेंगी।
छियासठ दिन से तीन महीने के बीच में सामान्यतया नई आदतें आपके स्वभाव का अभिन्न अंग बन जायेंगी।
Sunday, May 10, 2020
उत्पादक आदतें कमायें; धमाकेदार सफलतायें चहुँओर पायें
प्रथम खंड
भाग्य-विधाता
हर्ष की बात
व्यवहारिक उदाहरण
आदत-उपस्थिति-पुस्तिका
मैं भी अगले महीने के द्वितीय सोमवार को सबेरे-सबेरे इस विषय पर दूसरी रचना प्रस्तुत करूँगा।
आप मेरे वॉट्सएप्प नंबर 9431013500 पर मुफ्त विचार-विमर्श भी कर सकते हैं।
यदि आप अपने जीवन में प्रत्येक मनचाही वस्तु प्राप्त कर रहे हैं तो आपको उपरोक्त लेख पढ़ने की कत्तई आवश्यकता नहीं है।
लेकिन, अगर आपने जो लक्ष्य बनाये हैं, वहाँ पहुँचने के लिए आप संघर्षरत हैं तो अपने अस्त्रों को अच्छी आदतों से अवश्य ही ज्यादा प्रभावी और कारगर बना लें क्योंकि
कुछ कुछ लगातार करते हैं,
उनके जीवन में चमत्कार होता है।
निरंतर प्रयास करते हैं,
उनका जय-जयकार होता है।
लेखक
उत्तम कुमारसहयोगीगण
अद्वितीय सुशांतशिखा श्रीवास्तव
गौरव सुशांत
Tuesday, January 29, 2019
कैसे टूटी मेरे मित्र के कूल्हे की हड्डी .
Sunday, December 3, 2017
क्या बैंक-खातों का नोमिनी सम्पूर्ण राशि रख सकता है?
क्लोनिंग से बचायें अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड
- यह सुनिश्चित कर लें कि एटीएम के कार्ड-रीडर से सटाकर तो कुछ नहीं रखा गया है.
- एटीएम में जब भी पिन डालें, दूसरे हाथ से ढककर डालें.
- फूटपाथ पर या घर-घर घुमने वालों के पॉश-मशीन पर अपना कार्ड स्वैप नहीं करें.
- प्रत्येक SMS को ध्यान से पढ़ें. यदि जलसाज आपके पैन कार्ड या सिम का डुप्लीकेट निकालने का प्रयास करेंगे तो आपको SMS अवश्य भेजा जाएगा।
- यदि आपका कार्ड पॉश मशीन के अलावा दुकानदार अन्य कहीं स्वैप करे तो उससे इसका कारण पूछकर उसे हतोत्साहित करें।
Sunday, October 8, 2017
क्या निजीकरण है, सारी समस्याओं का समाधान ?
निजीकरण में स्वार्थी व्यक्ति येन-केन प्रकारेण ज्यादा से ज्यादा लाभ अर्जित करते हैं और यह निर्धनों के शोषण का जबरदस्त माध्यम है।
यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी से अनुचित राशि लेता है तो भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के सेक्शन 7 में
उस कर्मचारी को 3 से 7 वर्ष तक कारावास में रखने का प्रावधान है। लेकिन निजी व्यक्ति किसी से अनुचित वसूली करता है तो वह विजिलेंस या सी.बी.आई. के दायरे में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है और न ही उसके लिए इतने कड़े दंड का प्रावधान है। अतः निजीकरण उपरोक्त कारणों से लूट की खुली छूट देता है।
Saturday, October 7, 2017
सुसंस्कारों का अभेद्य किला बनायें।
एंकरिंग के सिद्धांत का आप भी पूर्ण दोहन कर सकते हैं।
Saturday, September 30, 2017
घात लगाए बैठी है, शैतान की नानी।
Sunday, August 27, 2017
अपना मस्तक ऊँचा रखें
Saturday, August 12, 2017
हमारे रंगीन चश्मे
टीम-भावना के समाप्त होने के कारण हम निर्रथक झगड़ों में फंस के रह जाते हैं। परिणामस्वरूप, हम मनोवांछित सफलताएँ नहीं प्राप्त कर पाते हैं और जीवन के हमारे बहुत सारे अरमान अधूरे रह जाते हैं।