सिन्हा जी लम्बे-चौड़े और भारी-भरकम कद-काठी के इन्सान हैं. एक दिन वे बैंक जाने के लिए घर से अपनी १२५ cc की मोटर साइकिल से निकले. बैंक के मोटर-साइकिल स्टैंड में मोटरसाइकिल खड़ी करने के दौरान साइड स्टैंड गिराना भूल गये. परिणामस्वरूप बाइक का बैलेंस गडबडा गया. उनके दुर्भाग्य से उनका एक पैर गोबर पर पड़ गया था. बाइक का बैलेंस सम्हालते समय उनका पैर भी फिसल गया और लगभग ११० किलो की मोटरसाइकिल उनके शरीर पर गिर गयी. आस-पास के लोग दौडकर उन्हें मोटरसाइकिल के नीचे से निकाले. बेचारे सिन्हा जी उठ नहीं पा रहे थे और बुरी तरह दर्द से कराह रहे थे. स्टाफ सदस्य उन्हें झटपट होस्पिटल ले गये. डॉक्टर ने उनके कुल्हे का ऑपरेशन किया. बेचारे महीनों बिस्तर पर पड़े रहे. उसके बाद कई महीने छड़ी लेकर चलने को मजबूर हुए.
हमारे एक दूसरे साथी ठाकुर जी पारु से आ रहे थे. रास्ते में उन्हें चाय पीने की इच्छा हुई. अतः उन्होंने मोटरसाइकिल रोकी और ये श्रीमान भी साइड स्टैंड लगाना भूल गये. मोटरसाइकिल सौभाग्यवश इनसे दूर गिरी. वे अपनी बाइक उठाने के लिए नीचे झूके और बाइक उठाने लगे. उनकी उम्र लगभग ५५ वर्ष थी. यह 150 cc की बाइक भी वजनी थी. जैसे-जैसे वे बाइक उठाते गये, उनके रीढ़ की हड्डी करकराहट के साथ टूटती गयी.
मैं भी अपनी गेराज में बाइक लगा रहा था. शाम का समय था, अँधेरा हो चुका था. मैंने साइड स्टैंड को पैर से मारा. कट से आवाज आई, मैं समझा साइड स्टैंड नीचे गिर गया है. लेकिन, साइड स्टैंड आधा गिरकर फिर ऊपर आ गया था. मैनें बाइक लगा दिया. परिणामस्वरूप बाइक नीचे गिर गयी और मेरी दायीं कलाई चोटिल हो गयी.
बाद में अनेक मित्रों ने बताया कि ऐसा अक्सर होता है और अनेक लोग गिरकर घायल हो जाते हैं. दुर्घटनाओं का अध्ययन करने पर मैनें पाया है कि अधिकांश दुर्घटनाएं अनजान जगहों पर नहीं होती हैं, बल्कि जानी-पहचानी स्थानों पर होती हैं. अनेक व्यक्ति अपने ही बाथरूम में गिरकर अपने पैर तोड़ लेते हैं. मेरे एक सम्बन्धी प्रतिदिन रेलवे लाइन पार करके अपने घर जाते थे. ऐसा प्रतिदिन अनेकों बार करते थे, एक दिन वे मोबाइल पर बात करते लाइन पार कर रहे थे और एक ट्रेन की चपेट में आ गये और अपनी जान गवां बैठे.
अतः जो कार्य आप प्रतिदिन करते हैं, उसमें पूरी सावधानी बरतें. अधिकांश दुर्घटनाएं वहीं होती हैं. अनजान स्थानों पर तो हम आवश्यकता से ज्यादा सावधानी बरतते हैं.
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