प्रथम खंड
कुछ कुछ लगातार करते हैं,
उनके जीवन में चमत्कार होता है।
निरंतर प्रयास करते हैं,
उनका जय-जयकार होता है।
हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और वर्तमान राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद निर्धन परिवारों से आने के बावजूद आज महान भारत के शीर्ष पदों को सुशोभित कर रहे हैं।
आपने निर्धन परिवार में जन्मे अनेक लोगों को अरबपति-खरबपति बनते सुना और देखा होगा । अनेक अरबपतियों के वंशजों को आपने दिवालिया बनते और जेल जाते भी सुना होगा।
उपरोक्त दृष्टांतों से यह वेपरलाइट के चमचमाते प्रकाश की तरह स्पष्ट हो जाता है कि धन-सम्पत्ति या हीरे-जवाहिरातों के बिना भी आशातीत सफलता पाई जा सकती है और अयोग्य हाथों में आते ही बिल गेट्स का खजाना भी खाली हो जा सकता है ।
फिर वह कौन सी वस्तु है जो गरीबों को अप्रत्याशित सफलतायें दिला देती है और अरबपतियों के अनेक सन्तानों को सड़क पर खड़ा कर देती है।
यह अमूल्य वस्तु ईश्वर की सभी संतानों के लिए सर्वसुलभ है । यह अनमोल नगीना और कुछ नहीं है
यह तो बस आपकी आदतों का समूह है।
भाग्य-विधाता
आपकी आदतें ही आपकी भाग्य-विधाता और चरित्र-निर्माता होती हैं।
बुद्धिमता के साथ परिश्रम करने की आदत आपको प्रतिभाशाली बना देती है, जरुरतमंदों की मदद करने की आदत आपको दानवीर बना देती है, अपार धन कमाने और बचाने की आदत आपको धनवान बना देती है, तो अफीम खाने के आदी को अफ़ीमची और चोरी करने वालो को चोर कहकर भी पुकारा जाता है।
आपकी आदतें विद्युत उर्जा की तरह होती हैं। श्रेष्ठ और उत्पादक आदतें आपको सातवें आकाश पर पहुंचा देती हैं । वहीं हीन आदतें अनेक व्यक्तियों को पाताल की गर्त में भी ढकेल देती हैं।
हर्ष की बात
हर्ष की बात यह है कि श्रेष्ठ और उत्पादक आदतें लगाने के लिये आपको कोई बड़ी पूंजी निवेश नहीं करनी पड़ती है और न ही आजीवन कठोर परिश्रम करना पड़ता है।
तीन सप्ताहों में आप एक अच्छी आदत लगा सकते हैं।
प्रथम सप्ताह अत्यंत संघर्षपूर्ण होता है । इन दिनों आपको ज्यादा इच्छा-शक्ति का प्रयोग करना पड़ सकता है।
इच्छा-शक्ति के प्रयोग के साथ-साथ आप दवा कम्पनियों के पुराने नुस्खे को भी आजमां सकते हैं। अंगरेजी दवाईयों की गोलियां सामान्यतया अत्यंत कड़वी होती हैं। अतः वयस्क उन्हें मुख में रखकर जल से निगलते हैं। छोटे शिशुओं में गोलियों को निगलने की क्षमता नहीं होती है। अत दवा कम्पनियाँ शिशुओं के लिये ऐंटीबॉयोटिक का मीठा सिरप बना देती हैं।
आप भी स्पॉट-जाॅग्गिंग या प्राणायम करते समय अपना मनपसंद संगीत सुन सकते हैं। किसी कठिन कार्य को करते समय बीच-बीच में कृत्रिम रूप से मुस्कुराने का अभ्यास कर सकते हैं । इस तरह करने योग्य कार्यों और अपने मनपसंद कार्यों का टेम्पटेशन बंडलिंग करके आप श्रेष्ठ और उत्पादक आदतें लगा सकते हैं।
प्रथम सप्ताह के पश्चात आपका तन-मन नई आदत से ताल-मेल बैठाने लगता है।
दूसरे सप्ताह में आप अपनी नई आदत के साथ सहज होने लगते हैं।
तीसरे सप्ताह में आपकी नई आदत आनंददायक बन जाती है।
धीरे-धीरे नई आदत आपके मनो-मस्तिष्क का हिस्सा बन जाती है। कई बार तो यह किसी नशा की तरह आपके रोम-रोम में प्रवेश कर जाती हैं। मेरे एक भैया को प्रति सुबह स्नान करने की आदत है। यदि किसी दिन उन्हें स्नान करने में देर हो जाती है तो उन्हें हलका सिर-दर्द होने लगता है ।
उपरोक्त विधि से आप जितनी श्रेष्ठ आदतें चाहें लगा सकते हैं और अवांछित आदतों से छुटकारा भी पा सकते हैं।
व्यवहारिक उदाहरण
मुझे पान खाने की हानिकारक आदत थी। मेरे अधिकांश मित्र पान खाते थे। आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि अक्टूबर, 2013 के पश्चात् मैंने आजतक कोई पान नहीं खाया है। पान खाने वाले मित्रों के बीच रहते हुए पान खाने की आदत छोड़ना सातवें आसमान पर जाकर तारे तोड़कर लाने के समान था।
इसकी रोचक कहानी मेरी रचना The Magical Repetition Killed My Bad Habit में दी गयी है। यह रचना इसी ब्लॉग में है। पान खाने की आदत छोड़ देने से स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ मैं एक लाख रुपये से अधिक अब तक बचा भी चुका हूँ।
आदत-उपस्थिति-पुस्तिका
मैं अत्यंत ही उत्साह के साथ कोई नई आदत लगाने की ठानता था और कुछ दिनों बाद उन्हें पूरी तरह भूल जाता था। दिन भर में यदि छोटे-बड़े बीसों काम करने हों तो उन सबको याद रखने के लिए मैं आदत- उपस्थिति-पुस्तिका का उपयोग करता हूँ । प्रत्येक शाम में मैं यह जांचता हूँ कि मैंने सारे काम किये हैं अथवा नहीं। जिस कार्य को मैं कर लेता हूँ उसके सामने वाली तिथि में _/ का चिन्ह लगाता हूँ और जो कार्य नहीं कर पाया उसके सामने x का चिन्ह लगाता हूँ। यह रेकॉर्ड रखना और अपनी उपलब्धियों को बढ़ते देखना अत्यंत आन्नददायक प्रतीत होता है । अब मैं अधिक कार्य-निष्पादन करता हूँ और आत्म-संतुष्टि के साथ निद्रा देवी को गले लगाता हूँ ।
अच्छी आदतें सहजता से लगाने और बुरी आदतों से आसानी के साथ छुटकारा पाने की अनेक प्रभावी विधियाँ श्री James Clear ने अपनी प्रख्यात पुस्तक The Atomic Habits में दी हैं।
मैं भी अगले महीने के द्वितीय सोमवार को सबेरे-सबेरे इस विषय पर दूसरी रचना प्रस्तुत करूँगा।
आप मेरे वॉट्सएप्प नंबर 9431013500 पर मुफ्त विचार-विमर्श भी कर सकते हैं।
यदि आप अपने जीवन में प्रत्येक मनचाही वस्तु प्राप्त कर रहे हैं तो आपको उपरोक्त लेख पढ़ने की कत्तई आवश्यकता नहीं है।
लेकिन, अगर आपने जो लक्ष्य बनाये हैं, वहाँ पहुँचने के लिए आप संघर्षरत हैं तो अपने अस्त्रों को अच्छी आदतों से अवश्य ही ज्यादा प्रभावी और कारगर बना लें क्योंकि
कुछ कुछ लगातार करते हैं,
उनके जीवन में चमत्कार होता है।
निरंतर प्रयास करते हैं,
उनका जय-जयकार होता है।
क्रमशः
शिखा श्रीवास्तव
गौरव सुशांत
लेखक
उत्तम कुमारसहयोगीगण
अद्वितीय सुशांतशिखा श्रीवास्तव
गौरव सुशांत
Super informative
ReplyDeleteThank you very much. Please introduce yourself. Regards.
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक रचना 🙏🙏
Deleteधन्यवाद, कृपया अपना नाम बताईये ।
DeleteBahut sundar likhe h sir
ReplyDeleteकोटि-कोटि धन्यवाद । आप कृपया अपना नाम बताईये
Deleteबहुत ही अच्छा प्रेरणादायक लेख है सर, इससे हमें निरन्तर प्रयास की इच्छशक्ति मिलती है, मैं अपने जीवन मे इससे अपने रोजाना व्ययाम करने की आदत डालने में मदद कर पाऊंगा।
ReplyDeleteधन्यवाद
मनीष कुमार
अधिकारी, पंजाब नेशनल बैंक
धन्यवाद मणिष बाबू ।
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