Saturday, September 30, 2017

घात लगाए बैठी है, शैतान की नानी।

दुर्घटनाएँ अक्सर निश्चिंत को भयानक ढंग से फँसातीं हैं।

                                                       --- एंड्रू डैविडसन 

कदम-कदम पर शैतान की नानी बैठी है। कहाँ हम पर हमला करेगी, कह नहीं सकते। 
कुछ दिन पहले एक xylo को पुलिस ने राष्ट्रीय उच्च पथ 28  पर रोका। पुलिस के ५-६ जवान xylo की तलाशी ले रहे थे, तभी तेज गति से आ रही एक ट्रक ने  xylo को रौंद दिया, 5  लोग अविलम्ब दुनिया छोड़ गए। अनेक लोग गम्भीर हालात में अस्पताल में भर्ती थे।
मैं एक दिन बोरिंग रोड चौराहा पार कर रहा था। मोबाइल पर एक फ़ोन आया।  मेरे ध्यान बँट गया। इसी बीच एक कार ने मुझे धक्का मार दिया। कार की साइड-मिरर मेरे सिर के दाहिने हिस्से से टकराई। मैं बेहोश होकर सड़क पर गिर गया। पूरे शरीर में 5-7 जगह पर चोटें आईं। लगभग 20 दिन परेशान रहा। 6.59 बजे शाम में मैं ठीक-ठाक था। 7.03 बजे दुर्घटना में घायल हो चुका था। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि कार की साइड मिरर मेरे सिर में टकराई थी तो काफी जोर की आवाज हुई थी और मैं बेहोश हो गया था। इस तरह तो मेरी जान सलामत रह गई, यह बड़ी बात थी।
पलक झपकते भयानक दुर्घटनाएं हो जाती हैं, क्योंकि शैतान की नानी हमें नुकसान पहुँचाने के लिए हमेशा घात लगाए बैठी रहती है। थोड़ी सी भी चूक हुई नहीं कि वह दुर्घटना के रूप में हमें अपने शैतानी आगोश में ले लेती है। 
अतः समय की मांग है कि हम दुर्घटनाओं के बारे में पढ़कर यह न सोचें कि ऐसा हमारे साथ नहीं होगा, बल्कि यह सोचें कि दुर्घटनाएँ कहीं भी और कभी भी हो सकती हैं और उनसे बचने के लिए हर पल न सिर्फ सतर्क रहें बल्कि दूरदर्शिता भी दिखायें। 



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