आप अपने व्यक्तित्व को दो प्रकार से निखार सकते हैं।
1. अपने कार्यकलापों को बदल दें।
2. अपने विचारों को बदल दें।
एक विश्वप्रसिद्ध कहावत है," एक सोच रोपें एक कार्य उपजेगा; एक कार्य रोपें, एक आदत पैदा होगी; एक आदत रोपें, एक चरित्र पायें और एक चरित्र रोपकर अपना भाग्य काट लें।
लेकिन, सोचने की महीन प्रक्रिया पर नियंत्रण रख पाना अत्यंत कठिन होता है। अतः बुद्धिमानगण अच्छी पुस्तकें पढ़ने और सकारात्मक लोगों के संग रहने की सलाह देते हैं। लेकिन, सही सोच वाले लोगों को विनाशकारी विचारों से रक्षा करने के लिए हम हर पल अपने पास नहीं रख सकते हैं।
नकारत्मक सोच जब हावी होते हैं तो हमारा मस्तक नीचे झुक जाता है।
अतः नकारात्मक विचारों के हमले को रोकने के लिए हमेशा सीना ताने रहें और मुस्कराते हुए मस्तक ऊँचा रखें।
मुस्कराहटयुक्त ऊँचा मस्तक न सिर्फ आपके अंग-विन्यास और आपके स्वास्थ्य को ठीक रखता है बल्कि
अवसादग्रस्त विचारों को भी रोक देता है।
आपका ऊँचा मस्तक अबसेंटमिन्डेडनेस को हावी नहीं होने देता है।
आपका ऊँचा मस्तक आपको सकारात्मक विचारों से सराबोर रखता है।
सकारात्मक विचारों को अनुकरणीय कार्य-कलाप में परिणत कर देने वालों का संसार अत्यंत सम्मान करता है।
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