Saturday, August 5, 2017

अच्छा आदमी क्यों बनें ?


नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलास सत्यार्थी

क्यों गाँधी, टॉलस्टॉय,और लिंकन के नाम अभी भी आदर और श्रद्धा के साथ लिए जाते हैं? क्यों हिटलर, मुसोलिनी और दुर्योधन से लोग आज भी घृणा करते हैं?
क्यों सीता और राम की पूजा की जाती है जबकि रावण और मेघनाद के पुतले जलाये जाते हैं।
क्यों अधिकांश अपराधियों की अकाल मृत्यु होती है, जब कि  अच्छे लोग दीर्घायु होते हैं?
क्यों टाटा, बाटा और रिलायंस दिन-दूनी  रात चौगुनी गति से बढ़ते जाते हैं, जबकि अनेक ठग कम्पनियाँ प्रति वर्ष खुलती और बंद हो जाती हैं?
उपरोक्त सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है, अच्छाई की आज भी अर्चना और पूजा की जाती है। "काठ की हांड़ी चढ़ै न दूजे बार" एक शाश्वत सच्चाई है। 
आप अपने शहर और मुहल्ले में भी पायेंगे कि अच्छे लोग शांति और प्रतिष्ठा के साथ जीवन-यापन कर रहे हैं, जबकि चोर-उच्चके नींद में भी दहशत के साथ रहते हैं और असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। 
अब महत्वपूर्ण प्रश्न यह है की अच्छा मनुष्य कैसे बनें और मान-सम्मान के साथ कैसे आत्मसंतुष्ट जीवनयापन करें और कर्म करने की क्षमता-वर्धन कर कैसे अपार सफलताएँ  पायें?
 महापुरुषों के जीवन-अध्ययन करने पर मैनें अच्छे व्यक्तियों में निम्नलिखित 3 महत्वपूर्ण गुण पाये। 

1. अपने साथ जुड़े व्यक्तियों, मित्रों और पारिवारिक सदस्यों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचायें। मुकेश अम्बानी जैसे लोग जो कम से कम मूल्य पर ज्यादा से ज्यादा लाभ दे रहे हैं, वे दिन दूनी रात चौगुनी गति से प्रगति कर रहे हैं।

2. अपने मित्रों, पारिवारिक सदस्यों और अपने-आप की यथा-सम्भव सहायता करें। यथाशक्ति अन्य जरुरतमन्दों की भी सहायता करें। आपकी अपनी सहायता आवश्यक है क्योंकि नियमित आहार, व्यायाम और उचीत जीवन-शैली अपनाकर आप स्वस्थ रहेंगे, तभी दूसरोँ की सहायता कर पायेंगे।
यदि आप कोई सहायता करने की स्थिति में नहीं हों तो अपनी उपस्थिति से उन्हें खुश और संतुष्ट रखने का प्रयास करें।

3. . ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति या खुद को कोई कष्ट हो। आपकी आत्मा और आपका शरीर भी ईश्वर की अमानत है, अतः अपने साथ भी पूरा न्याय करें।


 अपराधी को सजा देने का कार्य सक्षम व्यक्ति पर छोड़ दें। 

 सारे प्रबंधन की पुस्तकों और व्यक्तित्व विकास  पुस्तकों में इन्हीं बिंदुओं को लागू करने के तरीके दिए गये हैं। जैसे:-  यह शिक्षा दी जाती है कि दूसरों की बात बीच में नहीं काटें। यदि आप बिंदु संख्या 3 का अभ्यास करेंगे तो कभी किसी की बात को बीच में नहीं काटेंगे क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें बुरा लगेगा। इस तरह कोई भी नैतिक शिक्षा इन तीन बिंदुओं के अंदर आ जाती है। दूसरों की बातें ध्यानपूर्वक सुनकर आप उनकी सहायता करेंगे या  उन्हें खुश और संतुष्ट करेंगे तो बिंदु संख्या 2 का अभ्यास कर लेंगे। यदि आप अच्छी ग्राहक सेवा देते हैं तो यह बिंदु संख्या 1 के अंतर्गत आ जाता है। सिर्फ ग्राहक से मुस्कराकर भी बात कर लेंगे तो बिंदु संख्या 2 का अभ्यास करते हुए अपने व्यापर की भी वृद्धि करेंगे। 
उपरोक्त तीन बिंदुओं का अभ्यास अधिकांश महापुरुष करते आ रहे हैं। इन तीन बिंदुओं का सतत अभ्यास अवश्य ही वांछित फल देगा और आपकी कार्य करने की क्षमता जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही अपार सफलता आपके कदमों को चूमेगी।  जैसे श्री कैलास सत्यार्थी ने  1980 से लगातार बाल-मजदूरी उन्मूलन के लिए कार्य किया और 144 देशों में 83000 बच्चों को उनके अधिकार दिलवाये। परिणामस्वरूप उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया गया।


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