Sunday, December 3, 2017

क्या बैंक-खातों का नोमिनी सम्पूर्ण राशि रख सकता है?


मेरे एक पुराने मित्र ने कल बताया कि एक बुजुर्ग ने बैंक में अपनी एक पोती की शादी के लिए फिक्स-डिपोजिट किया था. उन्होंने खाते में पोती को नोमिनी भी बना दिया था ताकि उनके देहांत के बाद रुपयों का उपयोग उसकी शादी में ही हो. दुर्भाग्यवश बुजुर्ग का देहांत हो गया है, लेकिन फिक्स-डिपोजिट की राशि में शेष कानूनी उत्तराधिकारियों ने भी दावा ठोक दिया है. मेरे मित्र पूरे मामले का कानूनी पक्ष जानना चाह रहे थे.


बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन 45ZA(२) के अनुसार बैंक खातों में किसी एक व्यक्ति को नोमिनी बनाने का प्रावधान है. खातेदार अपने जीवन में नोमिनी बदल सकता है. यह अवधारणा है कि खातेदार की मृत्यु के बाद नोमिनी खाते की राशि का एकमात्र मालिक होता है.
कानून के अनुसार नोमिनी ट्रस्टी के रूप में खाते की राशि प्राप्त करता है और उसमें सारे कानूनी उत्तराधिकारियों का अधिकार होता है.
उच्चतम न्यायालय के विद्वान न्यायधिशों न्यायमूर्ति आफताब आलम तथा न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा की पीठ ने भी 2010 में सिविल अपील नंबर 1684/2004 राम चंदर तलवार बनाम देवेन्द्र कुमार तलवार में इसी आशय का फैसला सुनाया.
यद्यपि सक्षम न्यायालय द्वारा रोक लगाने के पहले यदि बैंक नोमिनी को भूगतान कर देता है तो वह अपने सारे दायित्यों से मुक्त हो जाता है.
अतः यदि आप अपनी सम्पत्ति का कोई हिस्सा विशेष उद्देश्य के लिए अपने किसी सम्बन्धी को देना चाहते हैं तो खाते में उसे नोमिनी बनाने के साथ-साथ एक वसीयत भी बनाकर उसमें इसका स्पष्ट वर्णन कर दीजिये.

क्लोनिंग से बचायें अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड


कुछ दिनों पहले समाचार-पत्र में पढ़ा था कि एक सज्जन का क्रेडिट कार्ड उनके पास सुरखित रखा था, फिर भी जालसाजों ने उनके खाते से रूपये 130,000 की खरीददारी कर ली थी. पुलिस-थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पुलिस छान-बीन में जुटी थी.
आखिर ऐसा कैसे सम्भव है? कार्ड आपके पर्स में है. आपने पिन किसी को बताया नहीं तो मार्केटिंग कैसे हो गयी?
ऐसा क्लोनिंग के द्वारा सम्भव है. सबसे पहले डॉली नामक एक भेड़ की क्लोनिंग हुई थी. डॉली के शक्ल-सूर्त की हुबहू दूसरी भेड़ क्लोनिंग करके बनायी गयी थी.
अब अरब टके का प्रश्न यह है कि जालसाज आपके कार्ड की क्लोनिंग कैसे करते हैं?
जब आप मार्केटिंग करने या रुपया निकलने जाते हैं तो वे स्किम्मर की मदद से आपका डाटा चोरी कर लेते हैं. यह स्किम्मर एटीएम के कार्ड-रीडर के साथ अत्यंत सावधानी के साथ सटा कर रख दिया जाता है और एक विडियो कैमरा की-बोर्ड  की ओर लगा दिया जाता है.जब आप एटीएम में कार्ड डालते हैं तो स्किम्मर में आपके कार्ड का सारा डाटा चला जाता है. फिर पिन डालते समय विडियो कैमरे में आपका पिन रिकॉर्ड हो जाता है. अब जालसाज लैपटॉप में आपका डाटा ट्रान्सफर करके सस्ते कार्ड पर  डुप्लीकेट एटीएम  बना लेते हैं. विडियो कैमरे की मदद से आपका पिन लेकर आपका खाता खाली कर देते हैं.
आपके कार्ड का डाटा कई बड़े-बड़े मॉल और दुकानों में भी चुराया जाता है.  ऐसे मॉल या दुकान में जब आप खरीददारी करते हैं तो पॉश-मशीन में कार्ड स्वैप करने के पहले वे उसे डेस्कटॉप, प्रिंटर या किसी अन्य स्थान पर स्वैप करके आपके कार्ड का सारा डाटा चुरा लेते हैं. वे संभवतः मार्केटिंग उद्देश्य से आपके डाटा की चोरी करते हैं. लेकिन उनकी नियत बिगड़ जाये तो वे भी आपके कार्ड की क्लोनिंग कर ले सकते हैं और सामन्यतया हमलोग बिना हाथ से ढके पासवर्ड डालते हैं, जिसे विडियो कैमरे द्वारा आसानी से चुराकर आपका खाता खाली कर सकते हैं.
क्लोनिंग से बचने के लिए आप निम्नलिखित सुझावों का पालन करके लाभ उठा सकते हैं.
  1. यह सुनिश्चित कर लें कि एटीएम के कार्ड-रीडर से सटाकर तो कुछ नहीं रखा गया है.
  2. एटीएम में जब भी पिन डालें, दूसरे हाथ से ढककर डालें.
  3. फूटपाथ पर या घर-घर घुमने वालों के पॉश-मशीन पर अपना कार्ड स्वैप नहीं करें.
  4. प्रत्येक SMS को ध्यान से पढ़ें. यदि जलसाज आपके पैन कार्ड या सिम का डुप्लीकेट निकालने का प्रयास करेंगे तो आपको SMS अवश्य भेजा जाएगा।
  5. यदि आपका कार्ड पॉश मशीन के अलावा दुकानदार अन्य कहीं स्वैप करे तो उससे इसका कारण पूछकर उसे हतोत्साहित करें। 
     

Sunday, October 8, 2017

क्या निजीकरण है, सारी समस्याओं का समाधान ?

कुछ उत्साही लोग निजीकरण का जोर-शोर से समर्थन करते हैं।

लेकिन, रेल में निजीकरण का प्रयोग पूरी तरह असफल हो चुका है। निजीकरण के बाद रेलों में मनमानी वसूली के बावजूद घटिया भोजन की शिकायत तो आम बात है ही जब से बेड-रॉल निजी हाथों में गए हैं, उनकी गन्दगी की कहानियाँ भी कुख्यात होती रही हैं।

अनेक निजी व्यवस्था वाले शौचालयों में अनुचित वसूली के बावजूद दुर्गंध का राज होता है।

निजी विद्यालयों और अस्पतालों में किस तरह चार्ज वसूले जाते हैं। यह किसी से छुपा नहीं है।

निजीकरण अमरीका जैसे पूंजीवादी देशों में भी अपना भद्दा रूप दिखा चूका है। मंदी के दौरान लेमैन ब्रदर्स, ए  आई जी जैसी बड़ी कम्पनियाँ धड़ाम हो गईं। अमेरिकन फेडरल सरकार ने 180 बिलियन डॉलर की सहायता कर AIG को उबारा और उसका नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। भारत में भी पूंजीपति अपने निजी कंपनियों के माध्यम से अरबों-खरबों के इंसेंटिव लेते रहे हैं, सरकारी बैंकों में पूंजी देते समय अनावश्यक शोर-शराबा होता है। पूंजीपतियों को इंसेंटिव मुफ्त में बांटे जाते हैं, जबकि सरकारी बैंक सामाजिक बैंकिंग सेवा भी देते हैं और  सरकार को  प्राप्त पूंजी पर डिविडेंड भी देते हैं।

निजी व्यवस्था ATM के केअर टेकरस का जम कर शोषण कर रही है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बैंकों से पूंजीपतियों को प्रति केअर टेकर जितनी राशि दी जाती है, केअर टेकर के जेब में उसकी आधी से भी कम राशि जाती है।

संविधान-निर्माताओं ने हमारे देश को कल्याणकारी राज्य का दर्जा दिया है। निजी कम्पनियों द्वारा किये जा रहे शोषण के कृत्य संविधान की भावनाओं के विपरीत हैं।

अनेक बार पूंजीपति लिमिटेड कम्पनियां बनाकर उनका दोहन करते हैं, फिर कम्पनियाँ दिवालिया घोषित कर दी जाती हैं, उसमें काम करने वाले सड़क पर आ जाते हैं और उनके बच्चे भूखे मरते हैं, जबकि पूंजीपतियों के ऐशो-आराम में कोई फर्क नहीं पड़ता है। हाल में दिवालिया हुई किंगफ़िशर एयरलाइन इसका उदाहरण है।

भारत में सैकड़ों निजी बैंक भी फेल हो चुके हैं। असफल होने वाले कुछ बैंकों के नाम हिंदुस्तान कमर्शियल बैंक लिमिटेड, नेदुंगड़ी बैंक लिमिटेड, बनारस बैंक लिमिटेड, ग्लोबल ट्रस्ट बैंक लिमिटेड आदि हैं। आम जनता की गाढ़ी कमाई को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने इनका विलय सरकारी बैंकों में कर दिया। इस तरह पूंजीपतियों के कुव्यवस्था और मनमानी से डूबे निजी बैंकों का बोझ भी सरकारी बैंकों ने जनहित में ढोया।

 निजीकरण में स्वार्थी व्यक्ति येन-केन प्रकारेण ज्यादा से ज्यादा लाभ अर्जित करते हैं और यह निर्धनों के शोषण का जबरदस्त माध्यम है।

यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी से अनुचित राशि लेता है तो भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के सेक्शन 7  में
उस कर्मचारी को 3 से 7 वर्ष तक कारावास में रखने का प्रावधान है। लेकिन निजी व्यक्ति किसी से अनुचित वसूली करता है तो वह विजिलेंस या सी.बी.आई. के दायरे में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है और न ही उसके लिए इतने कड़े दंड का प्रावधान है। अतः निजीकरण उपरोक्त कारणों से लूट की खुली छूट देता है। 

Saturday, October 7, 2017

सुसंस्कारों का अभेद्य किला बनायें।




प्राचीन काल के सम्राट अपने राज्य के चारों ओर सुदृढ़ किले बनवाते थे। उनकी ऊँची और मजबूत दीवारों से टकराकर शत्रु के तीर निष्प्रभावी  हो जाते थे। प्रशिक्षित बहादुर लड़ाके हर पल किलों की सुरक्षा में तैनात रहते थे और शत्रु को देखते ही उसपर टूट पड़ते थे। 

इसी तरह नकारात्मक विचारों से बचने के लिए हमें भी अपने मस्तिष्क के चारों ओर सुसंस्कारों का अभेद्य किला बनाने की आवश्यकता है। हमें सकारात्मक विचारों वाले व्यक्तियों से मित्रता के साथ-साथ धार्मिक और प्रेरक साहित्य हमेशा पढ़ते रहना चाहिए ताकि शैतानी विचारों वाले विष बुझे तीर सुसंस्कारों से टकराकर निरर्थक हो जायें। 

सकारात्मक विचारों के लगातार प्रहार से भी नकारात्मक विचार निष्प्रभावी हो जाते हैं। अतः नकारात्मक विचार जब भी आक्रमण करें तो आप उन्हें निम्नलिखित शक्तिशाली  नारों से परास्त कर दें। 

1. वर्तमान साधेंगे, ब्रह्माण्ड सधेगा। 
2. मीरा ने पिया विष का प्याला, विष को अमृत कर डाला। 
3. अग्रसोची, सदा सुखी। 
4. जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। 
5. जलता दीपक बनें और सभी सड़े विचार जला दें। 

मैं इन नारों को दुहराते हुए अपनी ऊँगली का एक पोर हल्के से दबाता रहता हूँ। यह एंकर जैसा कार्य करता है, अतः जब मैं नारे दुहराने की स्थिति में नहीं रहता हूँ तो सिर्फ ऊँगली का वह पोर हल्के से दबाता हूँ, अवचेतन मन संबंधित नारा स्वतः  दुहराने लगता है।
एंकरिंग के सिद्धांत का आप भी पूर्ण दोहन कर सकते हैं।

Saturday, September 30, 2017

घात लगाए बैठी है, शैतान की नानी।

दुर्घटनाएँ अक्सर निश्चिंत को भयानक ढंग से फँसातीं हैं।

                                                       --- एंड्रू डैविडसन 

कदम-कदम पर शैतान की नानी बैठी है। कहाँ हम पर हमला करेगी, कह नहीं सकते। 
कुछ दिन पहले एक xylo को पुलिस ने राष्ट्रीय उच्च पथ 28  पर रोका। पुलिस के ५-६ जवान xylo की तलाशी ले रहे थे, तभी तेज गति से आ रही एक ट्रक ने  xylo को रौंद दिया, 5  लोग अविलम्ब दुनिया छोड़ गए। अनेक लोग गम्भीर हालात में अस्पताल में भर्ती थे।
मैं एक दिन बोरिंग रोड चौराहा पार कर रहा था। मोबाइल पर एक फ़ोन आया।  मेरे ध्यान बँट गया। इसी बीच एक कार ने मुझे धक्का मार दिया। कार की साइड-मिरर मेरे सिर के दाहिने हिस्से से टकराई। मैं बेहोश होकर सड़क पर गिर गया। पूरे शरीर में 5-7 जगह पर चोटें आईं। लगभग 20 दिन परेशान रहा। 6.59 बजे शाम में मैं ठीक-ठाक था। 7.03 बजे दुर्घटना में घायल हो चुका था। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि कार की साइड मिरर मेरे सिर में टकराई थी तो काफी जोर की आवाज हुई थी और मैं बेहोश हो गया था। इस तरह तो मेरी जान सलामत रह गई, यह बड़ी बात थी।
पलक झपकते भयानक दुर्घटनाएं हो जाती हैं, क्योंकि शैतान की नानी हमें नुकसान पहुँचाने के लिए हमेशा घात लगाए बैठी रहती है। थोड़ी सी भी चूक हुई नहीं कि वह दुर्घटना के रूप में हमें अपने शैतानी आगोश में ले लेती है। 
अतः समय की मांग है कि हम दुर्घटनाओं के बारे में पढ़कर यह न सोचें कि ऐसा हमारे साथ नहीं होगा, बल्कि यह सोचें कि दुर्घटनाएँ कहीं भी और कभी भी हो सकती हैं और उनसे बचने के लिए हर पल न सिर्फ सतर्क रहें बल्कि दूरदर्शिता भी दिखायें। 



Sunday, August 27, 2017

अपना मस्तक ऊँचा रखें




   आप अपने व्यक्तित्व को दो प्रकार से  निखार सकते हैं।
1. अपने कार्यकलापों को बदल दें।
  
2. अपने विचारों को बदल दें। 

एक विश्वप्रसिद्ध कहावत है," एक सोच रोपें एक कार्य उपजेगा; एक कार्य रोपें, एक आदत पैदा होगी; एक आदत रोपें, एक चरित्र पायें और एक चरित्र रोपकर अपना भाग्य काट लें।

लेकिन, सोचने की महीन प्रक्रिया पर नियंत्रण रख पाना अत्यंत कठिन होता है। अतः बुद्धिमानगण अच्छी पुस्तकें पढ़ने और सकारात्मक लोगों के संग रहने की सलाह देते हैं। लेकिन, सही सोच वाले लोगों को विनाशकारी विचारों से रक्षा करने के लिए हम हर पल अपने पास नहीं रख सकते हैं।

नकारत्मक सोच जब हावी होते हैं तो हमारा मस्तक नीचे झुक जाता है।
अतः नकारात्मक विचारों के हमले को रोकने के लिए हमेशा सीना ताने रहें और मुस्कराते हुए मस्तक ऊँचा रखें।

मुस्कराहटयुक्त ऊँचा मस्तक न सिर्फ आपके अंग-विन्यास और आपके स्वास्थ्य को ठीक रखता है बल्कि  
अवसादग्रस्त विचारों को भी रोक देता है।

आपका ऊँचा मस्तक अबसेंटमिन्डेडनेस को हावी नहीं होने देता है।
आपका ऊँचा मस्तक आपको सकारात्मक विचारों से सराबोर रखता है।

 सकारात्मक विचारों को अनुकरणीय कार्य-कलाप में परिणत कर देने वालों का संसार अत्यंत सम्मान करता है।




Saturday, August 12, 2017

हमारे रंगीन चश्मे


'एथेंस का सत्यार्थी' के नायक ने जिद करके नँगा सत्य देखने का प्रयास किया। परिणामस्वरूप, उसकी आँखें चौन्धिया गयीं और वह अंधा हो गया।

सच पूछिए तो अपने बारे में नग्न सत्य हम भी नहीं बर्दाश्त कर पाते हैं। अतः अपनी आंखों पर रंगीन चश्मे लगाकर खुद को धोखा देते हैं।

अमिताभ बच्चन की सुप्रसिद्ध फ़िल्म शराबी याद कीजिये। शराब की अपनी बुरी लत को तर्कसंगत बनाने के लिए एक गाने में उन्होंने सारे संसार को नशे में धुत बता दिया।

प्रत्येक व्यक्ति अपनी आंखों के सामने पाक-साफ दिखना चाहता है। मसलन यदि मैं कामचोर हूँ तो कम से कम अपनी नज़रों के सामने गिरना नहीं चाहूँगा। अतः अपने-आप को ठगने के लिए मुझे एक रंगीन चश्मा पहनना होगा, जिस चश्मे से सारा विश्व कामचोर दिखेगा। लेकिन बात इतने पर समाप्त नहीं होती है। मुझे अपनी अदालत में दूसरों को कामचोर साबित करके दिखाना पड़ेगा, ताकि मैं अपनी कामचोरी को आम इंसानी कमजोरी मानकर तर्कसंगत साबित कर सकूँ।
यहीं से सारे झगड़ों की शुरुआत होती है। मैं अपने अधीनस्थों पर कामचोरी का आरोप लगाता हूँ, चाहे वे कितनी ही तन्मयता या अतन्मयता के साथ अपना कार्य कर रहे हों। बदले में वे भी मेरा प्रतिरोध प्रारम्भ कर देते हैं। फिर गुट बनते हैं। लोग एक दूसरे को नीचे दिखाने के लिये प्रयत्न-रत हो जाते हैं और अपने दिन की चैन और रात की नींद हराम कर लेते हैं।

परस्पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच टीम-भावना की बलि चढ़ाई जाती है और परिवार, समाज और संस्थाएं इसका भारी मूल्य चुकाती हैं।
टीम-भावना के समाप्त होने के कारण हम निर्रथक झगड़ों में फंस के रह जाते हैं। परिणामस्वरूप, हम मनोवांछित सफलताएँ नहीं प्राप्त कर पाते हैं और जीवन के हमारे बहुत सारे अरमान अधूरे रह जाते हैं।

आखिर इस गम्भीर बीमारी का क्या इलाज हो सकता है?



Saturday, August 5, 2017

अच्छा आदमी क्यों बनें ?


नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलास सत्यार्थी

क्यों गाँधी, टॉलस्टॉय,और लिंकन के नाम अभी भी आदर और श्रद्धा के साथ लिए जाते हैं? क्यों हिटलर, मुसोलिनी और दुर्योधन से लोग आज भी घृणा करते हैं?
क्यों सीता और राम की पूजा की जाती है जबकि रावण और मेघनाद के पुतले जलाये जाते हैं।
क्यों अधिकांश अपराधियों की अकाल मृत्यु होती है, जब कि  अच्छे लोग दीर्घायु होते हैं?
क्यों टाटा, बाटा और रिलायंस दिन-दूनी  रात चौगुनी गति से बढ़ते जाते हैं, जबकि अनेक ठग कम्पनियाँ प्रति वर्ष खुलती और बंद हो जाती हैं?
उपरोक्त सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है, अच्छाई की आज भी अर्चना और पूजा की जाती है। "काठ की हांड़ी चढ़ै न दूजे बार" एक शाश्वत सच्चाई है। 
आप अपने शहर और मुहल्ले में भी पायेंगे कि अच्छे लोग शांति और प्रतिष्ठा के साथ जीवन-यापन कर रहे हैं, जबकि चोर-उच्चके नींद में भी दहशत के साथ रहते हैं और असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। 
अब महत्वपूर्ण प्रश्न यह है की अच्छा मनुष्य कैसे बनें और मान-सम्मान के साथ कैसे आत्मसंतुष्ट जीवनयापन करें और कर्म करने की क्षमता-वर्धन कर कैसे अपार सफलताएँ  पायें?
 महापुरुषों के जीवन-अध्ययन करने पर मैनें अच्छे व्यक्तियों में निम्नलिखित 3 महत्वपूर्ण गुण पाये। 

1. अपने साथ जुड़े व्यक्तियों, मित्रों और पारिवारिक सदस्यों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचायें। मुकेश अम्बानी जैसे लोग जो कम से कम मूल्य पर ज्यादा से ज्यादा लाभ दे रहे हैं, वे दिन दूनी रात चौगुनी गति से प्रगति कर रहे हैं।

2. अपने मित्रों, पारिवारिक सदस्यों और अपने-आप की यथा-सम्भव सहायता करें। यथाशक्ति अन्य जरुरतमन्दों की भी सहायता करें। आपकी अपनी सहायता आवश्यक है क्योंकि नियमित आहार, व्यायाम और उचीत जीवन-शैली अपनाकर आप स्वस्थ रहेंगे, तभी दूसरोँ की सहायता कर पायेंगे।
यदि आप कोई सहायता करने की स्थिति में नहीं हों तो अपनी उपस्थिति से उन्हें खुश और संतुष्ट रखने का प्रयास करें।

3. . ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति या खुद को कोई कष्ट हो। आपकी आत्मा और आपका शरीर भी ईश्वर की अमानत है, अतः अपने साथ भी पूरा न्याय करें।


 अपराधी को सजा देने का कार्य सक्षम व्यक्ति पर छोड़ दें। 

 सारे प्रबंधन की पुस्तकों और व्यक्तित्व विकास  पुस्तकों में इन्हीं बिंदुओं को लागू करने के तरीके दिए गये हैं। जैसे:-  यह शिक्षा दी जाती है कि दूसरों की बात बीच में नहीं काटें। यदि आप बिंदु संख्या 3 का अभ्यास करेंगे तो कभी किसी की बात को बीच में नहीं काटेंगे क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें बुरा लगेगा। इस तरह कोई भी नैतिक शिक्षा इन तीन बिंदुओं के अंदर आ जाती है। दूसरों की बातें ध्यानपूर्वक सुनकर आप उनकी सहायता करेंगे या  उन्हें खुश और संतुष्ट करेंगे तो बिंदु संख्या 2 का अभ्यास कर लेंगे। यदि आप अच्छी ग्राहक सेवा देते हैं तो यह बिंदु संख्या 1 के अंतर्गत आ जाता है। सिर्फ ग्राहक से मुस्कराकर भी बात कर लेंगे तो बिंदु संख्या 2 का अभ्यास करते हुए अपने व्यापर की भी वृद्धि करेंगे। 
उपरोक्त तीन बिंदुओं का अभ्यास अधिकांश महापुरुष करते आ रहे हैं। इन तीन बिंदुओं का सतत अभ्यास अवश्य ही वांछित फल देगा और आपकी कार्य करने की क्षमता जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही अपार सफलता आपके कदमों को चूमेगी।  जैसे श्री कैलास सत्यार्थी ने  1980 से लगातार बाल-मजदूरी उन्मूलन के लिए कार्य किया और 144 देशों में 83000 बच्चों को उनके अधिकार दिलवाये। परिणामस्वरूप उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया गया।


Tuesday, March 7, 2017

MY PSYCHOLOGY BEHIND CUTTING MY PROFITS.

 In 2010, I bought a few hundred shares of Reliance Communication @ Rs. 185.00 per share, now they are trading at around Rs. 35. But I am keeping them close to my heart in the hope that they will regain their lost glory of Rs. 750 per share.
 I bought 50 shares of Tata Elxsi for Rs.225 per share and sold them @Rs. 550. Now they are trading at around Rs 1450, so I have been practicing opposite to the famous yore, " Run your profits and cut your losses."
When I am in profit, I book it due to the fear that the profit will evaporate. In the case of Tata Elxsi and Well Spun India, I booked profit in the hope that I shall buy them again at dips, but they never saw dips before multiplying many times. Once I bought 700 shares of Gammon India with the target of reaping 10 times profit. The price of shares doubled in a year but I DID NOT SELL THEM KEEPING IN VIEW TEN TIMES TARGET, BUT they came down slowly and now trading below my purchase price for 4 or 5 years.
The experienced exhort that sticking to any rule will not guarantee profits always but sticking to a good rule will give you profits most of the times.
 Should I watch, 200 days moving average i.e. purchasing a share when it goes above its 200 days moving average and selling it when it goes below its 200 DMA.
I request the experienced friends to guide me.

Tuesday, February 7, 2017

बताइये आप किस श्रेणी में हैं?

1.लाख समझाओ, कुछ नहीं करता है। इस कोटि के महामानव बिरले ही पाये जाते हैं, लेकिन लोग इन्हें देखकर दूर से ही सलाम कर देते हैं।

2. जितना बताओ, उतना ही करता है जैसे:-  मजदूर, रिक्शा-चालक, ऑटो-चालक आदि। ये लोग जीवन-पर्यन्त  कठोर परिश्रम करने के बावजूद निर्धन होते हैं।

3. जितना बताओ, उतना अच्छे से अच्छे तरीके से करता है।
अच्छी से अच्छी सेवा देने वाला व्यक्ति हर जगह ढूँढा  जाता है, अनेक बार हम दूसरी श्रेणी के दस चाय की दुकानों को छोड़कर किसी विशेष चाय की दुकान पर चाय पीने जाते हैं। इस श्रेणी के व्यक्ति काफी धन और यश कमा लेते हैं।

4. बिना किसी के बताये ही करने योग्य कार्य कर देता है। ऐसे व्यक्ति बहुत ज्यादा यश और धन कमा लेते हैं।

5. भविष्य के अवसरों को भाँपकर कार्य पहले ही प्रारम्भ कर देता है। मार्क जुकरबर्ग, धीरू भाई अम्बानी आदि इस श्रेणी में आते हैं। 

खुद जाँचिए आप किस श्रेणी में हैं ? 
कौन श्रेणी बेहतर है और 
बेहतर श्रेणी में आप कैसे जा सकते हैं?

Saturday, January 14, 2017

न रिवाल्वर ने मारा, न रंगदार ने मारा

उसे न तो रिवाल्वर ने मारा, न रंगदार ने मारा, उसे तो उसी के अति-आशावाद ने मार गिराया।

वह गोरा-चिट्टा और लम्बा युवक अत्यंत महत्त्वाकांक्षी था, तीक्ष्ण बुद्धि भी  था, तथा अपने माता-पिता का एकलौता पुत्र था। कोटा के एक अच्छे कोचिंग संस्थान में आई.आई.टी. प्रवेश-परीक्षा की तैयारी कर रहा था। सात सौ लड़कों के बैच में उसका रैंक लगभग चार सौ आया था। मुज़फ़्फ़रपुर लौटने हेतु उसकी टिकट कट चुकी थी।  बूढ़े माता-पिता बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे थे।
अचानक, वह लापता हो गया। छान-बीन  करने पर उसके कमरे से एक सुसाइड-नोट मिला जिसमें उसने अपने-आपको दोषी और स्वार्थी माना था और लिखा था कि वह अपने माँ-पिता को चम्बल नदी के मंझधार में मिलेगा। पुलिस ने  चम्बल नदी में जाल डालकर उस बेचारे का क्षत-विक्षत शव निकाला। अत्याचारी अवसाद एक बलि और ले चुका था।

अवसाद आस्तीन के सांप जैसा खतरनाक होता है।  आजकल भाग-दौड़ वाली दुनिया में गला-काट स्पर्धा है। अतः अनेक लोग मनचाही  सफ़लता नहीं मिलने पर अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
 अतः अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों पर नजर रखें। साथ ही " कर्मण्येवाधिकरस्ते मा फलेषु कदाचना।  मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते सङ्गोस्त्वकर्मणि। 
 बार-बार जोर से दुहराते रहें ताकि इसे आपके साथ आपके इष्ट-मित्र भी सुनें और उनके मनो-मस्तिष्क पर इसकी अमिट छाप पड़ जाये।
कितना भी भयानक भूकम्प अचानक आ जाये, मजबूत सरिये से बना मकान बच जाता है, इसी तरह अत्यन्त  खतरनाक अवसाद का झोंका भी शक्तिशाली संस्कारों से बने मस्तिष्क पर हावी नहीं हो पाता है। यदि आप   शक्तिशाली  संस्कार बनाना चाहते हैं तो अच्छी बातें  बार-बार पढ़ते, बोलते और सुनते  रहिये।
सभी तरह के छुपे अवसादों की कारगर दवा है,"  कर्मण्येवाधिकरस्ते मा फलेषु कदाचना।  मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते सङ्गोस्त्वकर्मणि। "
अर्थात 
  कर्म करना हमारा अधिकार है, फल देना ईश्वर का अधिकार है और ईश्वर जो भी फल देंगे, उसे हम सहर्ष स्वीकार करेंगे और भविष्य में भी पूरी तन्मयता से कर्म करते रहेंगे।
 शांति, प्रेम, आनन्द।