दुःशासन द्वारा चिरहरण के असफल प्रयास के पश्चात द्रौपदी ने प्रतिज्ञा किया कि जब तक उसके रुधिर से अपने बाल न धोएगी, तबतक उन्हें खुला रखेगी। अनिश्चित काल तक बाल खुले रखे बिना भी द्रौपदी यह कसम खा सकती थी । यह घोर अपमान पांडव भी भूलने वाले नहीं थे, फिर भी द्रौपदी अपने बाल खुले रखकर उन्हें हर पल उस अपमान की याद दिलाती रहती थी, क्योंकि ईश्वर ने हमें क्षीण स्मरण-शक्ति दी है।
कुछ दिनों पहले मैंने 'अलकेमिस्ट ' तीसरी बार पढ़ी , लेकिन लग रहा था , जैसे कई प्रसंग बिलकुल नए हैं ? बिरले ही कोई ठीक-ठीक यह बता पायेगा कि पिछले सप्ताह उन्होंने किस रंग की शर्ट -पैंट पहनी थी। मेरे एक मित्र ने तो यह चुनौती दे दी कि आप यह भी नहीं बता सकते कि दो घण्टे पहले आप किस विचार से व्यथित या प्रसन्न हो रहे थे ?
एक बार मुझे २८ सितम्बर तक क्रेडिट-कार्ड के 6084 रूपये भरने थे। मैनें न तो इसे To Do लिस्ट में लिखा और न ही कैलेंडर में जोड़ा , क्योंकि मैं मानकर चल रहा था कि क्रेडिट-कार्ड का बकाया भूगतान करना, मैं भूल ही नहीं सकता। संयोगवश मैं बैंक की अर्धवार्षिक लेखाबंदी में व्यस्त था; इसी बीच 28 सितम्बर दबे पाँव आया और चला गया। क्रेडिट-कार्ड वालों ने अच्छा-खासा जुर्माना ठोक दिया। मुझे 6084 रुपयों के बदले 6617 रूपये भरने पड़े।
अतः Repetition और Association से याददाश्त को सहायता करने के साथ-साथ आप उन चीजों को व्यवस्थित ढंग से लिख भी लें।
क्रेडिट-कार्ड कम्पनियाँ 50 दिनों तक ब्याज-मुक्त ऋण देकर भी मुनाफे में रहती हैं, शायद उन्हें मेरे जैसे भुलक्कड़ भारी संख्या में मिल जाते होंगे।
मुझसे अनेक ग्राहक मिलते हैं, जिनकी लॉकर की चाभी या फिक्स्ड-डिपोजिट की रसीद खो गयी रहती है, अगर किसी विशेष सामान को एक खास स्थान पर रखने की आदत बनायें और परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य को भी यह जानकारी दे दें तो यह समस्या काफी हद तक सुलझ सकती है और बैंकों में बिना किसी दावेदार के पड़ी अरबों रुपयों की राशि में भी भारी कमी होगी। मैंने तो लाखों के गहने वाले अनेक दावेदार विहीन लॉकर भी देखे हैं।
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