आपने मृत पशु अवश्य देखा होगा। उसके देहांत के बाद अविलम्ब दुर्गंध नहीं फैलता है। शव जैसे-जैसे सड़ता है , हवा में बदबू फैलने लगती है। धीरे-धीरे शव सूखता जाता है, एक समय ऐसा भी आता है, जब शव सूखकर समाप्त हो जाता है। साथ ही दुर्गंध भी समाप्त हो जाता है।
यक्ष -प्रश्न यह है कि शव बिना हटाये कहाँ चला जाता है। उसके बहुत छोटे-छोटे टुकड़े अदृश्य बैक्टीरिया में परिणत होकर हवा में तैरते-तैरते समाप्त हो जाते हैं। उधर से गुजरने वालों के सम्पूर्ण शरीर को अदृश्य बैक्टीरिया दुष्प्रभावित करते रहते हैं।
अतः बदबूदार स्थानों पर बदबू होने का मुख्य कारण हवा में तैरते बैक्टीरिया होते हैं। अतः जब हम बदबूदार स्थानों पर जाते हैं तो हमारा पूरा शरीर हवा में तैरते इन बैक्टिरिया के बीच में चला जाता हैं। यह एक तरह से प्रदूषित हवा में डूबकी लगाने जैसा होता है। अतः यथासम्भव बदबूदार स्थानों से दूर रहने में ही भलाई है। यथासम्भव समाज में या घर में भी दुर्गंध न पैदा होने दें।
यक्ष -प्रश्न यह है कि शव बिना हटाये कहाँ चला जाता है। उसके बहुत छोटे-छोटे टुकड़े अदृश्य बैक्टीरिया में परिणत होकर हवा में तैरते-तैरते समाप्त हो जाते हैं। उधर से गुजरने वालों के सम्पूर्ण शरीर को अदृश्य बैक्टीरिया दुष्प्रभावित करते रहते हैं।
अतः बदबूदार स्थानों पर बदबू होने का मुख्य कारण हवा में तैरते बैक्टीरिया होते हैं। अतः जब हम बदबूदार स्थानों पर जाते हैं तो हमारा पूरा शरीर हवा में तैरते इन बैक्टिरिया के बीच में चला जाता हैं। यह एक तरह से प्रदूषित हवा में डूबकी लगाने जैसा होता है। अतः यथासम्भव बदबूदार स्थानों से दूर रहने में ही भलाई है। यथासम्भव समाज में या घर में भी दुर्गंध न पैदा होने दें।
मेरे मित्र का छः साल पहले किडनी प्रत्यर्पण हुआ। वे आज भी पूर्णतः स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि किडनी प्रत्यर्पण के बाद चिकित्सक ने उन्हें संक्रमण से बचाव के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए।
1.सत्तर से अस्सी प्रतिशत मामलों में संक्रमण मल-मूत्र त्याग करते समय होता है। अतः वाश रूम हमेशा साफ-सुथरा रखें।
2. यात्रा करते समय फिनाइल अपने साथ रखें और सार्वजानिक शौचालयों में मल-मूत्र त्याग करने के पहले उसमें पानी मिलाकर शौचालय में डाल दें।
रेल यात्रा के समय फेनाइल रखने का प्रयोग एक नयी क्रांति लाएगा।
मेरे एक अन्य मित्र प्रमोद बाबू को को गन्दे शौचालय में मूत्र-त्याग के बाद संक्रमण हो गया था, बेचारे को अंततः पी.जी.आई. लखनऊ में इलाज कराना पड़ा।
मेरे एक अन्य मित्र प्रमोद बाबू को को गन्दे शौचालय में मूत्र-त्याग के बाद संक्रमण हो गया था, बेचारे को अंततः पी.जी.आई. लखनऊ में इलाज कराना पड़ा।