पहले हम दो विध्वंशकारी वाक्यांशों "बस एक बार" और "मैंने सोचा" के बारे में बता चुके हैं। आज हम तीसरे विध्वंशकारी वाक्यांश "चलता है" के बारे में विमर्श करेंगे। यह वाक्यांश पहले दोनों वाक्यांशों से भी ज्यादा हानिकारक है।
उपहार सिनेमा हादसा भारत की भीषणतम अग्नि दुर्घटनाओं में से एक था। चेतावनी दिए जाने के बावजूद भी सिनेमा हॉल के मालिकों ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किये । शायद उन्होंने सोचा होगा,"जैसा भी इंतजाम है, चलता है ".
इस "चलता है" सोच के भयानक परिणाम हुए, भारत के अब तक के सबसे भयावह अग्नि-दुर्घटना में दम घुटने से 59 लोग असमय काल के गाल में समा गए और 103 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में न्यायलय ने अंसल-बंधुओं समेत 12 लोगों को लापरवाही आदि के अपराध का दोषी पाया और उन्हें कारावास तथा आर्थिक दंड की सजा सुनाई।
एक बैंक में विश्वास (बदला हुआ नाम) नामक एक युवक काम करता था। वह बड़े ही मृदुल स्वभाव का आग्यांकारी स्टाफ था। बैंक अधिकारीयों का उस पर अटूट विश्वास था।
बैंक में वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण दिन था , जब बैंक के निरीक्षक ने लाखों रुपयों का घोटाला पकड़ा। यह घोटाला विश्वास ने कर दिया था। सुंननेवालों को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। विश्वास ने रोते -रोते बताया कि एक बार उसे कुछ सौ रुपयों की जरुरत थी। उसने खाते में गरबर करके रूपये निकाल लिए और बाद में जमा कर दिया। इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया। अतः उसने सोचा कि उसका तरीका चल गया। अतः जब उसे दुबारा कुछ ज्यादा रुपयों की जरुरत हुई तो उसने यही तरीका अपनाया और सोचा,"चलता है। " धीरे-धीरे उसकी जरूरतें बढ़ती गयीं और उसने काफी बड़े रकम का घोटाला कर दिया। अब उसके पास उतनी रकम नहीं थी कि वह खातों में डालकर गरबरी ठीक कर पाता। शाखा में निरीक्षण के दौरान गरबरी रह गयी और विश्वास पकड़ा गया। कल तक जो चल रहा था, वह नहीं चल पाया और बेचारे की नौकरी चली गयी।
2 G घोटाला करने वाले सोच रहे होंगे कि सब चलता है, अंततः वह घोटाला पकड़ा गया, अनेक लोग जांच के घेरे में है। अनेक लोगों को ज़मानत नहीं मिलने के कारण महीनों जेल में बितानी पड़ी। यद्यपि कौन दोषी है और कौन निर्दोष ? इसका फैसला होना बाकी है।
2 G घोटाला करने वाले सोच रहे होंगे कि सब चलता है, अंततः वह घोटाला पकड़ा गया, अनेक लोग जांच के घेरे में है। अनेक लोगों को ज़मानत नहीं मिलने के कारण महीनों जेल में बितानी पड़ी। यद्यपि कौन दोषी है और कौन निर्दोष ? इसका फैसला होना बाकी है।
अतः आज जो चलता है, कल बड़े मुसीबत की जड़ बन सकता है। समय रहते इस वाक्यांश से तोबा कर लें। भले ही प्रारम्भ में आपको थोड़ा कष्ट होगा, लेकिन अंततः आपका जीवन ज्यादा सुखद और शांतिपूर्ण होगा।
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